मीडिया सवेरा | जालंधर
आज की राजनीति का रंग-रूप बदल चुका है। यह पहले जैसी नहीं रही। लोकसभा चुनाव को अब कुछ दिन ही शेष बचे है। इसी बीच हर राजनीतिक दल, विरोधी दलों के नेताओं का बाहें पसारकर स्वागत कर रहा है। कई दलों के नेता इधर से उधर शिफ्ट हो रहे है. इसी क्रम में कांग्रेस के West हल्के से पूर्व पार्षद और दलित नेता जगदीश समराए ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है।
लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर जगदीश समराए का कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ना कई तरह के सवाल खड़ा करता है। खुद को कांग्रेस पार्टी का सच्चा सिपाही बताकर हमेशा चरणजीत सिंह चन्नी के साथ खड़े होकर उनको बड़ी लीड से जिताने का दावा करने वाले जगदीश समराय आखिर क्यों चन्नी को बीच मझदार छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए? बात करे तो समराए लगातार कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी के हक़ में डट कर प्रचार में जुटे थे।

चन्नी के पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर भी मीटिंगे कर इलाके के लोगों से वोट मांग रहे थे। इन मीटिंगों के दौरान समराए सुशील रिंकू पर नशे का व्यापर करवाने, लाटरी माफिया से पैसे लेने सहित कई आरोप लगाते हुए दिखाई दिए। पार्टी बदलने को भी उन्होंने रिंकू का निजी स्वार्थ बताया। यही नहीं वैस्ट हलके के मोहिंदर भगत, शीतल अंगुराल के पार्टी बदलने को लेकर भी समराए ने बहुत सारे सवाल खड़े किए। अब समराए के कांग्रेस छोड़ने के पीछे उनकी कोई मज़बूरी थी या भाजपा में शामिल होने के पीछे उनका कोई निजी स्वार्थ इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। सूत्रों की माने तो प्रचार के दौरान जगदीश समराए को चरणजीत चन्नी के पारिवारिक सदस्यों की कहीं कोई बात चुभ गई जिसकी वजह से वो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।
अब बड़ा सवाल तो यह है कि पार्टी बदलने को लेकर दूसरे नेताओं को कोसने वाले जगदीश समराय के खुद पार्टी बदलने के फैसले को लोग किस नजर से देखेंगे। कुछ दिन पहले ही इलाके के लोगों को सुशील रिंकू और शीतल अंगुराल की खामियां बताकर कांग्रेस के हक़ में वोट मांगने वाले अब भाजपा में शामिल होने के बाद किस मुंह से बीजेपी प्रत्याशी रिंकू के लिए वोट मांगेंगे ! वहीं जब इस मामले में हमने जगदीश समराए से बात करनी चाही तो उनके साथ संपर्क नहीं हो पाया। अगर वह अपनी बात रखना चाहे तो हमारा चैनल उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेगा।