मीडिया सवेरा (न्यूज़ डेस्क)
1993 Fake Encounter Case: फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले में 32 साल के बाद परिवारों की लड़ाई पूरी होने जा रही है। सीबीआई की अदालत आज एसएसपी और डीएसपी समेत 5 लोगों को सजा सुनाएगी।
1993 में घटे इस केस में 10 पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 5 की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। अब बचे 5 आरोपियों को अदालत IPC की धारा 302 (हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत सजा सुनाई जाएगी। दोषी ठहराए जाने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह मामला 1993 का है, जिसमें 7 नौजवानों को दो अलग-अलग पुलिस मुठभेड़ों में मरा हुआ दिखाया गया था। दोषियों ने उन युवकों को 27 जून 1993 को उनके घरों से उठाकर कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखा और उन पर अमानवीय अत्याचार किए।
28 जुलाई 1993 को डीएसपी भूपिंदरजीत सिंह के नेतृत्व में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया और तरनतारन में थाना वैरोवाल व थाना सहराली में दो अलग-अलग फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की एफआईआर दर्ज की गईं। 7 लोगों को झूठे एनकाउंटर में मार दिया। सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 1996 के आदेश के बाद यह केस सीबीआई को सौंपा गया।
जब मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। दो पॉइंट्स के आधार पर समझ आया, मुठभेड़ फर्जी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हो गया कि मरने से पहले इन लोगों को बुरी तरह से पीटा गया था। इस तरह सीबीआई जांच से यह साबित हुआ कि यह मुठभेड़ नकली थी और इसे जानबूझकर रचा गया था।